‘जज को ठीक कर देंगे’, सीएम खट्टर ने बयान को लिया वापस, जताया खेद

CM Khattar On Judge: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार को हाईकोर्ट के जज पर की गई अपनी टिप्पणी पर खेद व्यक्त करते हुए बयान वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि मैं अदालतों का सम्मान करता हूं। मैंने तुरंत यह भी कहा कि अदालत का जो भी फैसला होगा, वह अंतिम फैसला होगा और इसमें कोई संदेह नहीं है।

सीएम खट्टर ने यह भी कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन बनाकर चीजें आगे बढ़ती हैं और तीनों अंग लोक कल्याण के लिए काम करते हैं। यह एक अत्यधिक देरी से संबंधित प्रश्न था। एक परीक्षा हुई और परिणाम भी घोषित किया गया था, लेकिन अदालत की ओर से रोक लगा दी गई थी। ऐसे में एक अनैतिक टिप्पणी निकली।

जानिए क्या कहा सीएम खट्टर ने?

सीएम मनोहर लाल ने कहा, “मुझे यह भी महसूस होता है कि इसे नहीं बनाया जाना चाहिए था। भले ही कोई बात किसी विशेष न्यायाधीश तक पहुंच गई हो, मैं अपने शब्दों को वापस लेता हूं। “लेकिन, मैं यह कहना चाहता हूं कि इस देरी के कारण हजारों लोग प्रभावित होते हैं, और उन्हें उनके प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल रहा है। रोजाना हमसे इस बारे में पूछा जाता है। रविवार की जनसभा में भी ऐसे तमाम लोग आए थे, जो अपनी नौकरी पर नहीं जा सके थे। इस प्रकार एक अस्वाभाविक टिप्पणी की गई, जिसका मुझे खेद है।”

जज को लेकर सीएम खट्टर ने दिया था ये बयान

इससे पहले भिवानी में जनसंवाद के दौरान जब सीएम खट्टर से पूछा गया कि पुलिस भर्ती में अभी तक सभी उम्मीदवारों को नियुक्ति क्यों नहीं मिली है? इस पर सीएम ने कहा कि आपमें से ही कुछ लोग थे जो कोर्ट चले गए और जज ने स्टे लगा दिया। एक जज है उनके माथे में कुछ गड़बड़ है उसे जल्द ठीक करेंगे। तीन हजारों उम्मीदवारों की जॉइनिंग हो गई है, बाकि के उम्मीदवारों की भी जल्द जॉइनिंग करा दी जाएगी।

रणदीप सुरजेवाला, अभय चौटाला ने बोला था सीएम पर हमला

सीएम खट्टर के बयान को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस और इनेलो हमलावर हो गई थी। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीएम मनोहर लाल खट्टर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि न्यायपालिका के बारे में उनकी भाषा, सरकार के चाल चरित्र को दर्शाती है। सीएम को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए, अगर वो माफी नहीं मांगते तो उन्हें इस आपत्तिजनक बयान के लिए बर्खास्त किया जाना चाहिए।

वहीं इनेलो महासचिव अभय चौटाला ने कहा कि ये बयान न्यायपालिका का अपमान है। उन्होने कहा कि कोर्ट इसपर संज्ञान ले नहीं तो हम मानहानि का मुकदमा दर्ज करेंगे।

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