हरियाणा की मंडियों में सरसों की खरीद बंद, सस्ते दामों में फसल बेचने को मजबूर किसान

हरियाणा में खराब मौसम की मार झेल रहे किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। किसानों के सामने एक और परेशानी खड़ी हो गई है। दरअसल हरियाणा सरकार ने एक मई से मंडियों में सरसों के सरकारी खरीद बंद कर दी है। ऐसे में किसान सस्ते दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं। वहीं इस फैसले के विरोध में किसान संगठनों के साथ साथ राजनीतिक दलों ने भी कड़ा विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है।

किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन ने मांग की है कि 15 मई तक सरसों की खरीद की जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा। उधर, हरियाणा में लगातार दूसरे दिन हुई बारिश (जानिए मौसम विभाग का क्या है कहना) से प्रदेश की मंडियों में खुले आसमान के नीचे पड़ा 7 लाख मीट्रिक टन गेहूं और हजारों टन सरसों भीग गया।

समय से पहले शुरू हुई थी सरसों की ख़रीद

आपको बता दें हरियाणा में इस बार तय समय एक अप्रैल से पहले ही 28 मार्च से सरसों की खरीद शुरू की गई थी। हरियाणा सरकार ने हैफेड को सरसों खरीद की जिम्मेदारी दे रखी है और 114 मंडियों में खरीद शुरू की गई थी। हालांकि, अभी तक मंडियों में 3.17 लाख मीट्रिक टन सरसों की आवक हुई है। इस बार बारिश के चलते सरसों की फसल में भी काफी नुकसान हुआ है।

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खरीद शुरू होने के बावजूद नमी अधिक होने के चलते सरसों की खरीद कम हो पाई। वहीं, एक मई को अचानक से सरकार ने सरसों की खरीद बंद कर दी है। बताया गया है कि हैफेड ने अपने टारगेट के हिसाब से खरीद पुरी कर ली है।

सरसों खरीद में गड़बड़ी की आशंका

वहीं हरियाणा सरकार को सरसों खरीद में गड़बड़ी की आशंका है। इसके चलते प्रदेश के कृषि मंत्री ने जिन 23 मंडियों में सरसों की आवक कम हुई और बाहर ऑयल मिलों पर सरसों बिकने की शिकायतें आई, उन मार्केट कमेटी के सचिवों को नोटिस जारी किया था। साथ ही कोसली और रेवाड़ी के सचिव बदले गए थे। इसके अलावा, चरखी दादरी, ऐलनाबाद, आदमपुर, रेवाड़ी समेत कई ऑयल मिल में फिजिकल वेरिफिकेशन का आदेश दिया है।