टेंडर घोटाला: एक विभाग ने खारिज किया तो मुख्यमंत्री के विभाग ने उसी एजेंसी को दे दिया काम, मजे की बात; अब सीएम के विभाग की सीएम को ही शिकायत

फरीदाबाद टेंडर घोटाला : आपने एक कहावत तो सुनी होगी ” बिल्ली को ही दूध की रखवाली दे दी”। ऐसा ही हुआ है हरियाणा के फ़रीदाबाद में। घोटालों के लिए हरियाणा में मशहूर फरीदाबाद जिले में एक और गड़बड़ी की आशंका जताते हुए मुख्यमंत्री के विभाग की मुख्यमंत्री से ही शिकायत की गई है। आरोप है कि एक विभाग ने जिस एजेंसी को खारिज किया, दूसरे विभाग ने उसी को रोड बनाने का काम सौंप दिया है।

हैरत की बात ये है कि मामला जिस विभाग का है, उसके चेयरमैन खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं। फरीदाबाद मैट्रोपॉलिटन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (FMDA) की टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए विजिलेंस जांच की मांग की गई है। उधर, FMDA ने कहा है कि सही प्रक्रिया के तहत ही टेंडर किया गया है और गड़बड़ी नहीं है।

एजेंसी के खिलाफ़ जांच के आदेश दिए और फिर उसी को ही टेंडर दे दिया

शिकायतकर्ता RTI एक्टिविस्ट रविंद्र चावला ने आरोप लगाते हुए कहा कि सिंचाई विभाग ने पिछले साल गुड़गांव नहर के किनारे नैशनल हाइवे से बाईपास तक सड़क बनाने के लिए टेंडर जारी किया था। उसमें छह ठेकेदारों ने हिस्सा लिया था। जिनमे एक ठेकेदार के कागज़ात सही नहीं पाए गए, इसलिए उसे रिजेक्ट कर जांच के लिए सरकार को लेटर लिखा गया।

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शिकायत के अनुसार, ठेकेदार को सिंचाई विभाग की तकनीकी मूल्यांकन कमिटी ने टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था। गलत सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर हासिल करने को लेकर जांच के लिए कहा गया था। लेकिन अब उसी ठेकेदार को FMDA ने सड़क बनाने का वर्क अलॉट कर दिया है। FMDA ने सेक्टर-15-15ए डिवाइडिंग रोड के लिए काम सौंपा है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद हैं FMDA अथॉरिटी के चेयरमैन

फरीदाबाद मैट्रोपॉलिटन डिवेलपमेंट अथॉरिटी यानी FMDA के चेयरमैन मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं। इनकी देखरेख में FMDA सभी काम करता है। सीएम ही किसी भी काम मंजूरी देते हैं। मिली जानकारी के अनुसार अक्टूबर-2022 में सनफ्लैग चौक से सेक्टर-12-15 टीपॉइंट रोड बनाने के लिए टेंडर जारी किया गया। टेंडर खोलते वक्त सबसे पहले टेक्निकल बिड देखी जाती है, यानी देखा जाता है कि शर्तों के मुताबिक कोई एजेंसी उस काम को करने में कितनी सक्षम है। साथ ही उसके पास काम करने के क्या संसाधन हैं।

ऐसे ही देखा जाता है कि पहले एजेंसी ने कितना काम किया है। उक्त टेंडर 7 करोड़ रूपए का था लेकिन FMDA ने वर्क अलॉट कर दिया, जबकि कागज़ातों के अनुसार एजेंसी के पास केवल 10 लाख रुपये तक के काम करने का सर्टिफिकेट है। मोटे तौर पर देखा जाए तो सही से जांच नहीं हुई या यूं कहें कि कुछ तो गड़बड़ हुई है।

अब चुकी मामले की शिकायत सीएम मनोहर लाल को दी गई है तो देखना होगा कि खुद के विभाग की शिकायत पर उनका क्या एक्शन होता है।

Amann M Singh

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