सोच – लीक से हटकर

संदीप फ़िरोज़ाबादी पत्रकार की कलम से:

बात उन दिनों की है जब मैं हरियाणा के जिला रेवाड़ी में जिला परिषद् के चुनाव को कवर कर रहा था। चुनावी बिगुल बज चुका था। हर तरफ लाव लश्कर और भारी हुजूम के साथ लोकल पार्टियां एवं निर्दलीय उम्मीदवार अपना सिक्का ज़माने की फ़िराक में लगे हुए थे। रोजाना की ही तरह मेरी दिनचर्या के हिसाब से मुझे चुनावी क्षेत्र में उतरकर वहां की जनता की प्रमुख समस्याओं और चुनाव को लेकर उनके विचारों पर चर्चा करना था। इसी बीच चुनाव प्रचार करने के लिए भिन्न भिन्न प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं और भारी भरकम भीड़ के साथ आते हुए दिखे।

इसी भीड़ के बीच एक युवा मुझे ऐसा दिखा जो आम लोगों और ग्रामीणों के पास बैठकर उनसे बातचीत कर रहा था। एक तरफ जहा सभी पार्टीयों के प्रत्याशी बिना रुके और बात किये बिना ही निकले चले जा रहे थे। उनके बीच से कोई युवा इस तरह एक पेन और डायरी लेकर लोगों से जिस तरह से बात कर रह था। इस चीज़ ने मेरी उत्सुकता बहुत बढ़ा दी। मैंने उसके पास जाकर उसकी बातों को सुनने के लिए अपने कदम तेज़ी से उसकी ओर बढ़ाये और ये भी ध्यान रखा की उसको ये पता न चले की इस भीड़ के बीच कोई पत्रकार भी उसकी बातों को सुन रहा है।

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सभी ग्रामीण एक एक कर अपनी समस्याओं को सुना रहे थे इसी बीच उस युवा के मुंह से मैंने पहला शब्द जो सुना वो था सोच – लीक से हटकर होनी चाहिए। आगे उसने कहा कि “हर बार चुनाव होते हैं हम लोग लोगों के रसूख या पार्टी कितनी पुरानी है, जातिवाद, ऊंच – नीच या धर्म के आधार पर किसको वोट देना है तय कर लेते हैं। हमने कभी सोचा कि हमारे प्रमुख मुद्दे और प्रमुख समस्यायें कौन सी हैं जिनसे हम रोज़ाना जूझ रहे हैं। उसने कैसे निपटा जाये?

इन समस्याओं को किस तरह से ख़त्म किया जाये। क्या कभी किसी ने इन समस्याओं को जड़ से समाप्त करने के लिए कोई मजबूत सा प्लान आम जनता के सामने पेश किया है अगर कोई प्लान चुनाव से पहले पेश भी किया तो चुनाव में जीत के बाद उस पर अमल भी किया गया या नहीं। अब वक़्त आ गया है जब हम सबको एकजुट होकर लीक से हटकर सोचना होगा और देश को विकसित करने में अपना सहयोग करना होगा “।

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एक लम्बे समय तक वो युवा बोलता रहा, मैं उसकी बातें सुनता रहा और मैं उसकी सोच, निर्भीकता और ऊर्जा को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। उस युवा के जाने के बाद मैंने एक ग्रामीण से पूछा कि यह किस पार्टी का प्रत्याशी है। उस ग्रामीण ने बड़ी तत्परता से जवाब दिया ये किसी पार्टी के प्रत्याशी नहीं ये अमन भईया हैं “अमन सिंह”। उस युवा को देख कर मुझे ये अहसास हुआ कि भारत की राजनीति में इसी तरह की युवा पीढ़ी का योगदान अतिआवश्यक है।

राजनीति की खबरों का विश्लेषण करते करते चुनाव खत्म हो चुके थे और वक्त बीतता चला गया । जिला परिषद् के चुनाव भले ही खतम हो चुके थे लेकिन राजनीति के गलियारों में एक युवा का नाम आज भी हर किसी की जुबान पे है और यह युवा वही शख्स था जिसे मैंने चुनाव के दौरान लोगो के बीच देखा था।

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