रेजांगला डे: हरियाणा के वीर जांबाजों की कहानी, रेवाड़ी के 2 भाई एक बंकर में हुए थे शहीद

18 नवंबर 1962 का वो ऐतिहासिक दिन जब भारतीय सैनिकों ने लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर रेजांगला की शौर्य गाथा लिखी। आज ही के दिन भारत के 114 वीरों ने अदम्य साहस दिखाते हुए चीन के 1300 जवानों को झुकने को मजबूर कर दिया था। दुर्गम बर्फीली चोटी पर हरियाणा में अहीरवाल के वीर सैनिकों ने ऐसी अमर गाथा लिखी, जो आज भी युवाओं के जेहन में देशभक्ति की भावना पैदा करती है।

रेजांगला पोस्ट पर हुए युद्ध की गौरवगाथा विश्व के युद्ध इतिहास में अद्वितीय है। इस युद्ध में हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले दो सगे भाई एक ही दिन एक बंकर में शहीद हो गए थे। इस युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर जवानों में ज्यादातर रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले थे।

देश दीपावली के जश्र में था और सीमा पर खेली जा रही थी खून की होली

18 नवंबर 1962 को को लेह-लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियों पर 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में तीन कमीशन अधिकारियों सहित 124 जवानों ने चीन के 1300 से ज्यादा सैनिकों से लोहा लिया था। युद्ध में चार्ली कंपनी के 124 में से 114 जवान शहीद हो गए थे। वीरों का पराक्रम और साहस देख चीनी सैनिक भी नतमस्तक हो गए थे। यह युद्ध दीपावली की रात लड़ा गया था।

इसी युद्ध के बाद देश की फेमस सिंगर लता मंगेशकर ने गाना भी गाया था। ‘जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली, जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली… देशभक्ति से ओतप्रोत यह गाना रेजांगला के शहीदों को ही समर्पित है। इसकी हर एक पंक्ति रेवाड़ी और अहीरवाल क्षेत्र के उन रणबांकुरों की शौर्य गाथा कहती है।