चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने चौटाला सरकार में स्कूलों के लिए खरीदे गए ड्यूल डेस्क की जांच 18 साल बाद खोल दी है। इसकी जांच वित्त विभाग के सचिव वजीर सिंह गोयत को सौंपी गई है। सभी जिलों में 2000-2001 से लेकर 2004-05 तक 5.50 करोड़ रुपए से ड्यूल डेस्क की खरीद की गई थी। प्रत्येक डेस्क की कीमत 439 रुपए थी।
बता दें उस वक्त आईएएस संजीव कुमार शिक्षा विभाग के निदेशक थे। सूत्रों का कहना है कि खरीद में हुई अनियमितताओं का खुलासा ऑडिट जनरल ने 2007-08 में अपनी रिपोर्ट में किया था।
अब मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से 13 जिलों के जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि वित्त सचिव आईएएस वजीर सिंह गोयत ने जानकारी मांगी है। यह जानकारी सोमवार तक मेल के जरिए भेजी जाए। बता दें कि अम्बाला, जींद, कैथल, सिरसा, गुड़गांव, फतेहाबाद, पानीपत, यमुनानगर, सोनीपत, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, करनाल और रोहतक में ड्यूल डेस्क खरीद में गड़बड़ी हुई है।
पत्र लिखकर यह जानकारी मांगी
- 2000-01 से 2004-5 तक खरीदे गए ड्यूल डेस्क की पूरी जानकारी दी जाए। 2005-06 में प्राइमरी में कितने बच्चे थे।
- स्टॉक रजिस्टर बनाया गया या नहीं। उसका रख-रखाव किया गया नहीं।
- ड्यूल डेस्क का भुगतान किस तारीख को किया गया। डेस्क की आपूर्ति कब हुई। ड्यूल डेस्क का सत्यापन कब किया गया।
- वर्ष 2005-06 में ऐसे कितने डेस्क थे, जिनका उपयोग नहीं किया गया।
- क्या जिम्मेदार अधिकारी द्वारा ड्यूल डेस्क का भौतिक सत्यापन किया गया था। रजिस्टर में यह दर्ज किया गया या नहीं। संबंधित स्टॉक रजिस्टर की कॉपी भी दी जाए।
चौटाला सरकार में हुई गड़बड़ी की 18 साल बाद जांच के क्या है मायने?
अब सवाल ये उठता है कि इतने अंतराल के बाद जांच शुरू करने का क्या मतलब निकाला जाए। 2024 चुनाव नजदीक है ऐसे में ये सवाल लाज़मी है कि इतने समय से शिक्षा विभाग चुप क्यों रहा।
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